राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है। इसके साथ ही एनजीटी ने लुधियाना के जिलाधिकारी को उन 11 लोगों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये देने का निर्देश दिया, जिनकी जहरीली गैस के रिसाव के कारण मौत हो गई थी। लुधियाना जिले के घनी आबादी वाले ग्यासपुरा इलाके में रविवार को जहरीली गैस कांड हुआ था। मीडिया में आई खबरों के आधार पर एनजीटी ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया।
हवा में ‘हाइड्रोजन सल्फाइड’ के उच्च स्तर का पता चला था और अधिकारियों ने संदेह जताया था कि यह किसी सीवर से निकला है। घटना के बाद लुधियाना प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और इस घटना में बीमार हुए लोगों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी। जस्टिस गोयल, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने मृतकों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये देने के आदेश के साथ ही कहा, ‘यदि कोई राशि पहले भुगतान की गई है, तो उस राशि को काट लें…।’ अधिकरण ने कहा, ‘नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है।’ घटना में मारे गये 11 लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे। ग्यासपुरा में प्रवासी लोगों की खासी संख्या है और इलाके में कई औद्योगिक एवं आवासीय भवन स्थित हैं।
तथ्यों की जांच को 8 सदस्यीय समिति गठित
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आठ सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसका नेतृत्व पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष करेंगे। समिति हादसे के कारणाें की जांच के साथ ही भविष्य में किए जाने वाले उपायों की भी सिफारिश कर सकती है। आठ सदस्यीय समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर); औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आईटीआरसी), लखनऊ; पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक के नामित प्रतिनिधि; एनडीआरएफ के प्रतिनिधि; पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड; लुधियाना के जिलाधिकारी और लुधियाना नगर निगम के आयुक्त शामिल हैं। एनजीटी ने कहा, ‘समिति किसी भी अन्य विभाग, संस्था या व्यक्ति के साथ बातचीत करने और संबंधित स्थलों का दौरा करने एवं ऑनलाइन या ऑफ लाइन काम के लिए स्वतंत्र होगी। समिति 30 जून या इससे पहले रिपोर्ट दे सकती है।’