लुधियाना : 3 राज्यों के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के बाद भले ही भाजपा ने सरकार के गठन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं लेकिन पार्टी के सामने उस मामले में फैसला लेने की चुनौती भी है, जिसमें कई सांसद चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं।
यहां बताना उचित होगा कि भाजपा द्वारा 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान जीत को यकीनी बनाने के लिए दिग्गजों को मैदान में उतारा गया था। इनमें 21 मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं जिनमें से 12 मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री विधानसभा का चुनाव जीत गए हैं यह मुद्दा भाजपा के गले की फांस बन गया है क्योंकि नियमों के अनुसार इन चुने गए विधायकों को 14 दिन के भीतर फैसला लेना है कि उन्होंने दोनों में से कौन-सा पद रखना है, वर्ना उनकी लोकसभा सदस्यता अपने आप खत्म हो जाएगी।
इनमें सबसे ज्यादा 5 सांसद मध्य प्रदेश से जीते हैं जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 4 और छत्तीसगढ़ में 3 है। उधर, आने वाले समय में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और अब इन सांसदों से इस्तीफा दिलाया जाता है तो उनकी खाली हुई सीटों पर नए चेहरों की तलाश करनी होगी। इस दौर में अगर भाजपा दिग्गजों को केंद्रीय राजनीति में रखने के लिए 3 राज्यों में नए चुने किसी विधायक से इस्तीफा लेगी तो उस सीट पर विधानसभा उपचुनाव करवाना होगा।
केंद्रीय मंत्रियों का नाम भी है शामिल
भाजपा द्वारा जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए मैदान में उतारा गया था, उनमें केंद्रीय मंत्रियों का नाम भी शामिल है जिनमें से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रफुल्ल पटेल, रेणुका सिंह को जीत हासिल हुई है जबकि फगन सिंह कुलस्ते हार गए हैं। इसी तरह तेलंगाना में भाजपा की तरफ से विधानसभा का चुनाव लडऩे वाले तीनों सांसदों को हार का सामना करना पड़ा है।