राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सुप्रीमो शरद पवार ने मंगलवार को यह कहकर सबको चौंका दिया कि उन्होंने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव का फैसला करने के लिए राकांपा नेताओं की एक समिति बनाने की सिफारिश की। हालांकि, पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनसे फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
1999 में बनाई अपनी पार्टी की अध्यक्षता छोड़ने का ऐलान पवार ने यहां यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण के विमोचन के अवसर पर किया। इस पर पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल और नेता जितेंद्र आव्हाद समेत कई समर्थक रो पड़े। शरद पवार के घर चले जाने के बाद भी अनेक कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल छोड़ने से इनकार कर दिया। वहीं, राज्य में कुछ जगहों पर जिला इकाई के पदाधिकारियों ने कहा कि वे फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर अपने पद छोड़ रहे हैं।
बाद में, पवार के आवास पर पार्टी नेताओं की समिति की बैठक हुई। शरद पवार के भतीजे व राकांपा नेता अजित पवार ने कार्यकर्ताओं को समझाते हुए कहा कि उन्होंने (शरद पवार) अपना फैसला कर लिया है, लेकिन आपके आग्रह के कारण उन्हें इस पर सोचने के लिए दो-तीन दिन का समय चाहिए। वह इस बारे में तभी सोचेंगे जब सभी कार्यकर्ता घर जाएंगे।
बेटी ने कहा था 2 ‘सियासी विस्फोट’ होंगे :शरद पवार की घोषणा राकांपा की लोकसभा सदस्य और उनकी बेटी सुप्रिया सुले द्वारा यह संकेत दिए जाने के एक पखवाड़े से भी कम समय के बाद आई है कि 15 दिन में दो राजनीतिक ‘विस्फोट’ होंगे, एक दिल्ली में और दूसरा महाराष्ट्र में।
ऐलान के बाद 2 घंटे चुप बैठे रहे अपने फैसले की घोषणा करने के बाद पवार कार्यक्रम स्थल पर दो घंटे तक रहने के दौरान बमुश्किल बोल पाए। वे राकांपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से घिरे, अपनी पत्नी प्रतिभा के बगल में चुपचाप बैठे रहे।
‘कदम पीछे लेना जरूरी’
पवार ने कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा पिछले 63 वर्ष से अनवरत जारी है। इतने वर्षों में उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए महाराष्ट्र और देश की सेवा की है। उन्होंने कहा, ‘मेरी राज्यसभा सदस्यता का तीन वर्ष का कार्यकाल शेष है। इस दौरान मैं बिना किसी पद के महाराष्ट्र और देश के मुद्दों पर ध्यान दूंगा। एक मई, 1960 से एक मई, 2023 की लंबी अवधि में एक कदम पीछे लेना जरूरी है। इसलिए, मैंने अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया है।’ उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं आपके साथ हूं, लेकिन राकांपा अध्यक्ष के रूप में नहीं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे पवार की राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना का महा विकास आघाड़ी गठबंधन बनाने में अहम भूमिका रही है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने ट्वीट किया, ‘गंदी राजनीति, आरोपों से तंग आकर बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना प्रमुख पद छोड़ दिया था। ऐसा लगता है कि इतिहास ने खुद को दोहराया है… लेकिन शिवसैनिकों के प्यार के कारण उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा… बालासाहेब की तरह, पवार साहब भी राज्य की राजनीति की आत्मा हैं।’