इसरो ने सोमवार को लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) द्वारा ली गई चंद्र सुदूर क्षेत्र की तस्वीरें जारी कीं। इसरो का चंद्रयान-3 मिशन जल्द पूरा होने वाला है। इससे पहले विक्रम लैंडर ने चांद के दूरस्थ स्थल की कुछ तस्वीरें ली हैं। इन्हें इसरो की तरफ से सोमवार सुबह ट्विटर पर साझा किया गया है।
चंद्रयान-3 ने लैंडिंग से पहले लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) का इस्तेमाल करके इन तस्वीरों को खींचा है। एलएचडीएसी को इसरो के अहमदाबाद स्थित प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र ‘स्पेस ऐप्लीकेशंस सेंटर’ (एसएसी) ने विकसित किया है।
यह कैमरा लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित उन क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के कई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लैंडर में एलएचडीएसी जैसी कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और इसका मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उपलब्धि हासिल करना है।
वहीं, रविवार को इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के ‘लैंडर मॉड्यूल’ (एलएम) को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया और इसरो ने रविवार को कहा कि रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम तकरीबन छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है।
चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में ये देश हुए कामयाब
बता देंकि अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है।
रूस का लूना-25 चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त
हालांकि रूस का लूना-25 रविवार को अनियंत्रित कक्षा में जाने के बाद चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोसकॉसमॉस’ ने एक बयान में कहा, ‘‘लैंडर एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराने के परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त हो गया।’’ रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार 10 अगस्त को अपना चंद्र मिशन भेजा था।