कोरोना के बाद अब पंजाबवासियों को डेंगू के खतरे का डर सता रहा है। पंजाब में वर्ष 2021-22 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में डेंगू के मामलों में बेशक 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है लेकिन स्वास्थ्य विभाग फिर भी इस बीमारी के फैलने व बचाव के लिए सतर्क है। वर्ष 2021-22 में जहां पंजाब में डेंगू के 23389 मामले सामने आए थे, वहीं वर्ष 2022-23 में यह आंकडा घटकर 11030 रह गया लेकिन फिर भी विभाग ने आगामी डेंगू के प्रकोप पर रोक लगाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। जहां संबधित विभागों के साथ प्रबंधों की तैयारियों के लिए बैठकों का दौर जारी है, वहीं स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता की जागरुकता के लिए एडवाइजरी भी जारी कर सलाह दी है कि इस बीमारी को नजरअंदाज न किया जाए क्योंकि सतर्कता न बरतने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है।
मोहाली, पटियाला व लुधियाना रहे हैं सर्वाधिक प्रभावित
वर्ष 2022-23 के दौरान जो राज्य में डेंगू के 11030 मामले सामने आए थे। इनमें मोहाली (1827), पटियाला (1081) और लुधियाना (1072) ऐसे जिले हैं, जिनमें 1000 से अधिक मामले सामने आए। इसके अलावा 500 से अधिक मामले सामने आने वाले जिलों में पठानकोट (796), फतेहगढ़ साहिब (862) और रूपनगर (840) शामिल हैं।
डेंगू टैस्ट के रेट पहले से तय
पंजाब सरकार ने डेंगू के टैस्ट की कीमतें भी पहले से तय कर रखी हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से राज्य भर के निजी अस्पतालों और लैबोरेटरीज में डेंगू टैस्ट की कीमत 600 रुपए रखी है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग टैस्ट करवा पाएं। वहीं, सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच और उपचार मुफ्त किया जाता है। डेंगू और मलेरिया महामारी रोग एक्ट, 1897 के अधीन नोटीफाइड बीमारियां हैं और इसके अनुसार पंजाब राज्य के सभी प्राइवेट अस्पतालों को डेंगू और मलेरिया के मामलों की रिपोर्ट स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को पेश करनी पड़ती है, जिससे डेंगू के किसी भी मामले में विभाग की तरफ से समय पर कार्यवाही की जा सके।
कैबिनेट मंत्री भी आए थे चपेट में
पिछले साल नवम्बर में पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. भी डेंगू की चपेट में आ गए थे। वह गुरु नानक देव मैडीकल कॉलेज में भर्ती हुए और अपना उपचार कराया था। अस्पताल में उनके टैस्ट करवाए गए थे, जो डेंगू पॉजिटिव आने के कारण उन्हें भर्ती किया गया था।