धान के सीजन के लिए सरकार ने एक तरफ जहां जोन बनाकर रोपाई का समय निश्चित किया है, वहीं सिंचाई विभाग ने भी अपनी तरफ से पूरी तैयारी शुरू कर दी है ताकि जहां-जहां तक नहरी सिस्टम फैला हुआ है, वहां तक किसानों को नहरी पानी से खेतों की सिंचाई करने में कोई परेशानी न पेश आए। इसके लिए नहरों व रजबाहों में पानी के स्तर को तय करने व पानी छोड़ने की योजनाबंदी करने के साथ-साथ यह भी तय किया गया है कि नहरों व रजबाहों के साथ जुड़े हुए खालों (खेतों के बीचों-बीच तक पानी ले जाने का माइक्रो सिस्टम) की भी निगरानी शुरू कर दी है। इसके लिए बाकायदा एक्शन प्लान भी जारी कर दिया गया है, जिसमें चीफ इंजीनियर से लेकर जिलेदार, जूनियर इंजीनियर व बेलदारों तक की संबंधित काम कराने के लिए जिम्मेदारी तय की गई है।
नहरों और रजबाहों के साथ-साथ खाल भी रखें मैंटेन
सरकार की ओर से तैयार किए गए एक्शन प्लान में सिंचाई के नेटवर्क को देखने वाले सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जिन जूनियर इंजीनियर्स की ड्यूटी नहरों, रजबाहों व
माइनर्स को साफ व चलता रखने की है, वहीं अपने इलाके अधीन पड़ते सभी खालों की भी निगरानी करें। यह पक्का किया जाए कि बेलदार व मेट जिस तरीके से रजबाहों में पानी के बहाव को बनाए रखने के लिए अड़चनों (पेड़ों की टहनियां या अन्य रुकावट पैदा करने वाला सामान) को दूर करने के लिए काम करते हैं, ठीक वैसे ही खेतों में बनाए गए खालों की भी निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि खाल में पानी का बहाव बना रहे और खाल के टेलएंड (अंतिम छोर) तक पानी जरूर पहुंचे।
नहरी पटवारी तैयार करेंगे छोटे स्केल के नक्शे
खेतों में जरूरत के मुताबिक पानी की सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए इस प्लान के तहत नहरी विभाग में तैनात सभी पटवारियों को कहा गया है कि खालों को दर्शाते हुए छोटे स्केल पर नक्शे तैयार किए जाएं, जिसमें सभी चालू खालों का पूरा ब्यौरा दिखाया गया हो। यह नक्शे पटवारियों को सिंचाई विभाग के जिलेदार कार्यालयों में पेश करने और हर महीने खालों में पानी के बहाव संबंधी रिपोर्ट देने को भी कहा गया है। वहीं, नहरी पटवारियों को यह भी ताकीद की गई है कि वह जूनियर इंजीनियर्स के साथ मिलकर खुद भी खालों की निगरानी समय-समय पर करते रहें और यदि किसी खाल की मरम्मत करने या फिर किनारों पर मिट्टी लगाने की जरूरत हो तो इस काम को अधिकारियों के ध्यान में लाकर तुरंत करवाया जाए।
जिला स्तर पर भी होगी निगरानी
विभाग ने तय किया है कि नहरी पटवारी, जूनियर इंजीनियर स्तर के अधिकारियों से मिलने वाली रिपोट्र्स को देखने के बाद जिलेदार अपने स्तर पर यह वेरीफाई करेगा कि सभी इलाकों में खाल पानी के बहाव को सही से कैरी कर रहे हैं और कहीं पर भी कोई नुक्सान नहीं हुआ है। वह इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सब डिवीजन स्तर पर देगा और साथ ही डिप्टी कलैक्टर को भी। इसके बाद सब डिवीजन अधिकारी जिलेदार के साथ चैक करेगा कि नहरों और रजबाहों में छोड़ा जा रहा पानी सिंचाई के लिए मौजूद पूरे रकबे की सिंचाई की जरूरत पूरी कर रहा है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यदि कहीं से किसी खाल के टूटने की रिपोर्ट आएगी तो तुरंत उसकी मरम्मत के लिए फील्ड स्टाफ की तैनाती व मदद करेगा।
देश के बेहतर कनाल सिस्टम में से एक है पंजाब का कनाल सिस्टम
पंजाब में नहरों के जरिए खेतों की सिंचाई का बिछा हुआ साढ़े 14 हजार किलोमीटर लंबा जाल बहुत पुराना और देश के बेहतरीन सिस्टम्स में एक है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब कनाल सिस्टम की अपर बारी दुआब कनाल (यू.बी.डी.सी.) नहर का निर्माण तत्कालीन मुगल सम्राट शाहजहां के समय हुआ था और पंजाब के सिंचाई विभाग का गठन आजादी से भी तकरीबन सौ बरस पहले 1849 में हुआ था और अंग्रेज हुकूमत के वक्त ही पंजाब राज्य में नहरों का निर्माण होना शुरू हो गया था और अंग्रेजों द्वारा इसका डिजाइन डेमोग्राफी और इलाकों की जरूरत को ध्यान में रखकर किया गया था।
गुरमीत सिंह मीत हेयर, जल स्रोत मंत्री पंजाब ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों पर जल स्रोत विभाग किसानों को नहरी पानी मुहैया कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है, खासकर नहरों व खालों के अंतिम छोर तक। पहली बार नरमा किसानों की मांग पर बिजाई के लिए नहरी पानी उपलब्ध करवाया गया है। हमारा विभाग नहरी ढांचे को मजबूत करने को प्राथमिकता दे रहा है जोकि पिछली सरकारों द्वारा अनदेखा किया जाता रहा है।