किडनी ट्रांसप्लांट मामले में चौंकाने वाला खुलासा

मोहाली मेडिकल रिसर्च एंड एजुकेशन ने एक स्थानीय निजी अस्पताल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी ट्रांसप्लांट का खुलासा होने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट करने के अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया है। पुलिस ने पूरे मामले की जांच के लिए एस.पी. मोहाली के नेतृत्व में 3 सदस्यीय एस.आई.टी. (SIT) का गठन भी किया है। पुलिस अस्पताल में अब तक हुए 35 किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के दस्तावेजों की भी जांच कर रही है।

गौरतलब है कि 6 मार्च को सोनीपत निवासी सतीश तायल को सिरसा के कपिल नाम के डोनर ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर किडनी दी थी। किडनी डोनेट करने का सौदा 10 लाख रुपए में हुआ था, लेकिन कपिल को सिर्फ 4.5 लाख रुपए दिए गए। कपिल के हंगामे के बाद मामला पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस ने 18 मार्च को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के अलावा हेरफेर और मिलीभगत के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस ने अस्पताल के कोआर्डीनेटर सहित 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

जानकारी के मुताबिक यह बात सामने आई है कि अस्पताल से निकलते ही डोनर और लेने वाले के ब्लड सैंपल बदल दिए गए थे, जिसकी रिपोर्ट दिल्ली की लैब से आई थी। डी.एन.ए. को बोन मैरो की जरूरत नहीं होती। ए.एस.पी. डॉ. दर्पण अहलूवालिया ने कहा कि पुलिस को संदेह है कि मामले के तार मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से अंतरराज्यीय अंग ट्रांसप्लांटेशन से जुड़े हैं। इसकी जांच का दायरा दूर-दूर तक फैला हुआ है और उम्मीद की जा रही है कि जांच के बाद जल्द ही इससे जुड़े बड़े खुलासे होंगे।