महादेव सट्टेबाजी ऐप का पूरा विवाद क्या है, क्यों बन गया है ये हाईप्रोफाइल केस

शुक्रवार यानी 3 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने महादेव सट्‌टेबाजी ऐप मामले में एक बयान जारी किया. जिसमें कहा गया कि इस ऐप के प्रमोटरों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए का भुगतान किया था.

ईडी के इस बयान ने छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल के बीच सियासी संग्राम छेड़ दिया है. महादेव सट्‌टेबाजी ऐप का मामला पिछले कुछ महीनों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मामले में पहले बॉलीवुड के सितारे घेरे में आए थे और अब कई राजनीतिक नेताओं के भी तार जोड़े जा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के सीएम का नाम आने के साथ ही बीजेपी भी कांग्रेस पर निशाना साधने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है. दो दिन पहले ही दुर्ग में चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने महादेव बेटिंग ऐप का जिक्र कर भूपेश बघेल और कांग्रेस पर हमला बोल था.

अब केंद्र सरकार ने महादेव सट्टेबाजी ऐप पर प्रत‍िबंध भी लगा दिया है. दरअसल प्रवर्तन न‍िदेशालय की सिफारिश पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने महादेव बुक और रेड्डी अन्नाप्रिस्टोप्रो सहित कुल 22 अवैध सट्टेबाजी ऐप्स और वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया है.

ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर ये महादेव सट्टेबाजी ऐप का पूरा विवाद क्या है और यह हाईप्रोफाइल केस क्यों और कैसे बन गया..

क्या है महादेव बेटिंग ऐप?

महादेव बेटिंग ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया एक ऐप है. इस पर लॉग इन करने वाले यूजर कार्ड गेम्स, चांस गेम्स, पोकर जैसे लाइव गेम खेलते थे.

इतना ही नहीं इस ऐप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों में सट्टेबाजी भी की जाती है. इसके अलावा इसी ऐप से चुनावों में अवैध सट्टेबाजी भी की जाती थी. अवैध सट्टे के नटवर्क के जरिए महादेव बेटिंग ऐप का जाल पूरे देश में तेजी से फैला और इसमें सबसे ज्यादा खाते छत्तीसगढ़ में खुले.

कब और किसने की थी ऐप की शुरुआत 

सबसे पहले इस ऐप की शुरुआत साल 2019 में सौरभ चंद्राकर नाम के एक शख्स ने की थी. सौरभ भिलाई में ‘जूस फैक्ट्री’ के नाम से एक छोटी सी जूस की दुकान चलाता था. इस दौरान उसकी मुलाकात रवि उप्पल नाम के एक इंजीनियर से हुई. दोनों की दोस्ती गहरी हो गई और इन दोनों ने साथ में काम करने का फैसला लिया.

साल 2017 में सौरभ और रवि ने साथ मिलकर ऑनलाइन सट्टेबाजी के जरिए पैसा कमाने के लिए एक वेबसाइट बनाई. हालांकि, इस वेबसाइट पर शुरुआत में बहुत कम लोग आते थे और दोनों की कमाई भी बहुत कम होती थी.

साल 2019 में सौरभ दुबई चला गया और अपने दोस्त रवि उत्पल को भी वहीं बुला लिया.  रवि के दुबई पहुंचने के साथ ही दोनों ने मिलकर महादेव बुक ऑनलाइन के नाम से एक बेटिंग वेबसाइट और ऐप बनाया.

अपने इस बिजनेस को फैलाने के लिए रवि और सौरभ ने सोशल मीडिया मार्केटिंग और इन्फ्लुएंसर का सहारा लिया और उनके जरिए इस वेबसाइट और ऐप को प्रमोट करवाने लगा. इसके दोनों ने सट्टा लगाने वाले दूसरे ऐप और वेबसाइट को खरीद लिया.

कैसे मशहूर होने लगा यह ऐप 

इस ऐप ने अपने प्रमोशन के जरिए कुछ ही महीनों के अंदर 12 लाख से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ लिया. ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक इस ऐप से जुड़ने वालों में ज्यादतर लोग छत्तीसगढ़ के थे.

इस ऐप का इस्तेमाल क्रिकेट में लेकर चुनाव तक में सट्टा लगाने के लिए क्या जाने लगा. महादेव ऐप के कारोबार ने कोरोना महामारी के दौरान रफ्तार पकड़नी शुरू की. साल 2021 में जब कोविड के कारण बिना दर्शक के IPL का आयोजन हुआ तब महादेव ऐप के जरिए लगभग 2 हजार करोड़ से ज्यादा की सट्टेबाजी हुई थी. इस बेटिंग ऐप ने अपने वेबसाइट पर दावा किया है कि फिलहाल 99 लाख से ज्यादा लोग उसके साथ जुड़े हैं.

कैसे करता है ये नेटवर्क काम 

सबसे पहले तो कंपनी लोगों को सट्टेबाजी के जरिए पैसे कमाने का लोभ एजेंट और ऐड के जरिए यूजर्स को अपने साथ जोड़ती है. कंपनी के साथ जुड़ने के लिए यूजर बताए गए नंबर पर संपर्क करते हैं. जिसके बाद इन यूजर्स को वॉटस्एप पर एक प्राइवेट ग्रुप में जोड़ा जाता है. इसके बाद उन्हें कुछ वेबसाइट्स पर अपनी आईडी बनानी होती है.

आईडी बनने के बाद यूजर्स को दो फोन नंबर दिए जाते हैं. पहले नंबर के जरिए यूजर आई डी में पैसे के साथ पॉइंट जमा करते हैं. तो वहीं दूसरा नंबर आईडी के प्वाइंट को भुनाने और वेबसाइट से संपर्क करने के इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद यूजर बेनाम खाते में पैसा जमा करते हैं और जीतने के बाद उसी खाते से वह पैसा निकाल लेते हैं.

कैसे बन गया हाई प्रोफाइल केस 

सौरभ ने इस ऐप से होने वाली कमाई को बॉलीवुड फिल्मों और होटल बिजनेस में लगाना करना शुरू कर दिया. जिसके कारण दोनों की मुलाकात कई फिल्मी सितारों, गायकों से होने लगी. इसके अलावा होटल बिजनेस में पैसा लगाने के कारण भी दोनों कई बड़े बिजनेसमैन और जाने-माने नेताओं के संपर्क में आ गए.

महादेव ऐप पहली बार साल 2020 के फरवरी में चर्चा में आया था. उस वक्त आयकर विभाग ने छत्तीसगढ़ में कई नौकरशाहों और राजनेताओं के घर छापा मारा था. इन्ही छापों के दौरान सौरभ की दुबई में होने वाली हाई प्रोफाइल पार्टियों की तरफ सबका ध्यान गया.

इसके बाद महादेव बेटिंग ऐप के कई एजेंटों की गिरफ्तारी हुई. गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने बताया था कि उस वक्त 30 से ज्यादा सेंटर्स से महादेव बुक ऐप को ऑपरेट किया जा रहा था. हालांकि बावजूद इसके रवि और सौरभ पर छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं पहुंच पाई. ऐसे में आखिरकार ये मामला राज्य पुलिस से ED के पास पहुंचा. जब ईडी ने महादेव बुक को लेकर जांच शुरू की तो बड़ी संख्या में आरोपियों के बारे में जानकारी मिली.

ED ने कई बॉलीवुड स्टार और नेताओं को घेरा 

ईडी ने इस मामले की जांच करते हुए साल 2023 के अगस्त महीने में छत्तीसगढ़ पुलिस के एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर को गिरफ्तार कर किया गया. उन्हें बिजनेसमैन अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी द्वारा हवाला के जरिए विदेश से पैसा भेजा गया था. इन दोनों ही व्यापारियों का कनेक्शन महादेव बुक ऐप से था.

इसके बाद ईडी ने महादेव बेटिंग ऐप के बारे में पहली बार खुलासा किया. इस पूरे मामले में सितंबर में देश के लगभग 39 शहरों में छापेमारी की गई और लगभग 417 करोड़ की नकदी के साथ-साथ कई डॉक्यूमेंट जब्त किए गए.

ईडी ने जिन ठिकानों पर छापेमारी की उनमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओएसडी और एक राजनीतिक सलाहकार के ठिकाने भी शामिल हैं. इन गिरफ्तारियों के बाद महादेव बुकिंग ऐप के संचालकों की कई जानकारियां सामने आईं. साथ ही इस ऐप पर पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के पैसों के हेरफेर के आरोप भी लगे.

रणबीर कपूर का नाम भी आया था सामने 

आरोप है कि इस ऐप को रणबीर कपूर भी प्रमोट कर रहे थे. ईडी के अधिकारियों की मानें तो रणबीर कपूर के पूछताछ के दौरान उनसे ये जानकारियां मांगी गई हैं कि उन्हें ये पैसा किसके जरिए मिल रहा था. वहीं इस मामले में रणबीर के अलावा कपिल शर्मा, हुमा कुरैशी, सनी लियोनी, हिना खान समेत 14 सेलिब्रिटी को समन भेजा गया है. इन सभी सेलेब्स पर हवाला के जरिए पैसे लेने का आरोप है.

ईडी ने क्या दावा किया?

ईडी ने दावा किया है कि 2 नवंबर को रायपुर में महादेव बेटिंग ऐप से जुड़े एक कैश कूरियर से 5.39 करोड़ कैश जब्त किया गया है. यह पैसा कांग्रेस के चुनाव अभियान के लिए था और विशेष रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए था. जांच एजेंसी ये भी आरोप लगा चुकी है कि छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल को ऐप प्रमोटर्स से अब तक 500 करोड़ से ज्यादा मिल चुके हैं. हालांकि सीएम ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. सीएम बघेल ने कहा कि मुझे बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है.

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