एक तरफ पंजाब सरकार द्वारा जिले में 15 आम आदमी क्लीनिक की शुरुआत की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सब डिवीजन अस्पताल में दो दिन से बिजली सप्लाई नहीं आने से मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बिजली बाधित होने के कारण अस्पताल अंधेरे में डूबा हुआ है और डाक्टर धूप में बैठकर मरीजों का चेकअप करने को मजबूर हैं।
अस्पताल में बड़ा जनरेटर है, लेकिन डीजल नहीं होने के कारण मरीजों को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही। कुछ मरीज शुक्रवार को ओपीडी के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें पूरा इलाज नहीं मिल पाया। कारण, बिजली की आपूर्ति बंद होने के कारण उनके जरूरी टेस्ट नहीं हो पाए। इस कारण मरीजों को निराश लौटना पड़ा। जिन मरीजों को गंभीर समस्या थी, उन्हें निजी लैब से भी टेस्ट करवाने पड़े। इस कारण लोगों में काफी रोष दिखा।
सरकारी अस्पतालों में हाट लाइन से बिजली की सप्लाई का प्रविधान है, लेकिन भुलत्थ में ऐसा नहीं है। यहां पर प्राइवेट कंपनी की ओर से ट्रांसफार्मर लगाया गया है, जिसका पूरा खर्च सरकार की ओर से दिया जाता है। इस ट्रांसफार्मर का सर्किट ब्रेकर बुधवार शाम को फेल हो गया। इसके बाद से अस्पताल में सप्लाई बंद है।
समाजसेवी ने पांच हजार देकर डीजल का प्रबंध किया
सर्किट ब्रेकर फेल होने से लाइट की सप्लाई न होने और डीजल न होने के कारण मरीजों को आ रही दिक्कत के बारे में जब समाजसेवी लायन विशाल जुल्का को पता चला तो उन्होंने शुक्रवार बाद दोपहर अपनी जेब से पांच हजार रुपये देकर डीजल का का प्रबंध किया। हालांकि इसके बाद भी लोगों को एक्स-रे की सुविधा नहीं मिल पाई, क्योंकि इसकी मशीन को बिजली सप्लाई जनरेटर से नहीं हो सकती। इससे भी परेशानी हुई।
एसएमओ बोले, जनरेटर में डीजल डलवाने को फंड नहीं
अस्पताल के एसएमओ डा. देसराज, डा. अमृतपाल सिंह और डा. मोहित ने बताया कि ट्रांसफार्मर के ब्रेकर में फाल्ट आने के कारण अस्पताल में बिजली की सप्लाई हो रही है। इस कारण इमरजेंसी में आए मरीजों को सिविल अस्पताल बेगोवाल व कपूरथला में रेफर किया जा रहा है। लाइट न होने के कारण कुछ दवाएं भी खराब होने का खतरा था, उन्हें भी शिफ्ट कर दिया गया है। विभाग के इस फाल्ट के बारे में सूचित भी कर दिया गया है, जिसकी मरम्मत का काम चल रहा है। अस्पताल के पास इतना फंड भी नहीं है कि जनरेटर के सहारे मरीजों को सुविधा दी जा सके।
पहले आधी कलेक्शन अस्पताल के पास रहती थी: एसएमओ
एसएमओ डा. देसराज ने बताया कि 25 जनवरी की शाम को सिटी ब्रेकर फेल हो गया था। इसकी रिपेयर करवाने के लिए उच्च अधिकारियों को बता दिया था। डा. देसराज ने बताया कि दिसंबर महीने के अंत तक अस्पताल में एडमिशन व टेस्ट से जो भी पैसे इकठ्ठा होते थे, उनमें से आधी रकम सरकार को जाती थी और बाकी हर अस्पताल खुद रखते थे। इस फंड से अस्पताल प्रबंधन जरूरी मदों पर खर्च कर सकता था।
बिजली आपूर्ति बाधित होने पर डीजल की खरीद की जाती थी। अब इस वर्ष से सरकार द्वारा एक पत्र जारी कर आदेश दिया गया कि जितनी भी राशि अस्पताल में एकत्र होती है, वह सभी राशि सरकार को जमा करवाई जाए। अब सभी खर्चे सरकार द्वारा ही किए जाते हैं। इस कारण पैसे नहीं होने से डीजल नहीं ला सकते और जनरेटर नहीं चल सकता।